आपको बता दे कि कंपनी बड़ी हो या छोटी उसमें कई तरह के पोस्ट होते हैं। इस लेख में हम company में कोन – कोन सी post होती है और उनका क्या कार्य होता है आपको बताएंगे। साथ ही executive, Line इंचार्ज, assistant manager, Deputy manager, senior manager, manager, DGM, AGM क्या होता है और इनका कार्य ।ताकि आपको भी अलग अलग पदों के बारे में जानकारी मिल सके। इस पोस्ट में हम आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करेंगे। पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।
कंपनी या बिजनेस में पद कौन कौन से होते है?
किसी कंपनी में पोस्ट केवल एक जॉब टाइटल है जो हमें कंपनी द्वारा दिया जाता है और उसी पद के हिसाब से हम काम करते हैं। आप किसी पोस्ट के लिए कंपनी में अप्लाई करते हैं, तो आपको वैसा ही काम और responsibility लेनी पड़ती हैं। जो उस पोस्ट के लिए कंपनी द्वारा बनाए गए हैं। कंपनी में अलग अलग positions होते है जिसकी मदद से हर दिन का काम होता है।
किसी भी बिजनेस या कंपनी के अंदर, जॉब टाइटल हायर से लोअर के लेवल पर बनती है। इसलिए हर पद का अधिकार अलग अलग होता है। सबसे ऊंचे पद वाला बाकि पूरे टीम को संभलता है। कंपनी के अंदर तीन लेवल पर पोस्ट को बांटा जाता है एग्जीक्यूटिव मैनेजमेंट एंड ऑपरेशनल। अलग अलग कंपनी में अलग अलग structure होता होता।
Executive level in a company
एग्ज़ीक्यूटिव लेवल को हम C-suite भी कहते हैं। ये किसी भी कंपनी का एक highest position लेवल होता है जो कि बाकी कंपनी को चलाता है। एग्जीक्यूटिव के अंदर पांच जॉब टाइटल्स और उनके काम को बांटा गया है।
1. Chief executive officer (CEO)
यह किसी भी कंपनी का फाउंडर हो सकता है या फिर फाउंडर के अलावा दूसरा कोई व्यक्ति भी हो सकता है। CEO किसी भी छोटे या बड़े कंपनी का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है । आपको बता दें कि CEO कम्पनी का मैनेजमेंट और ऐड्मिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट का इंचार्ज होता है। CEO के पास किसी कंपनी के सभी कर्मचारियों के ऊपर अधिकार होता है। बाकि सभी पोस्ट वाले CEO के पास रिपोर्ट करने आते हैं। इसके अलावा सीईओ केवल मालिक या बोर्ड के लिए काम करता है। CEO के ऊपर कंपनी का मालिक (चैयरमेन) होता है सीईओ डायरेक्ट चैयरमेन को रिपोर्ट करता है।
MD (मैनेजिंग डायरेक्टर ) – किसी कंपनी में सीईओ और md दोनों पोस्ट होती है कुछ कंपनी में MD की पोस्ट नहीं होती है। यहाँ पर MD का कार्य भी वही होता है जो की CEO का होता। MD को कंपनी के ओवरआल मैनेजमेंट को देखना होता है।
CEO के काम क्या होते हैं?
- एक सीईओ के ऊपर कंपनी की बहुत सी जिम्मेदारी होती है। सारे निर्णय कंपनी के CEO को खुद ही लेने पड़ते हैं।
- कंपनी में चल रहे सभी कामों पर CEO को ध्यान रखना होता है। सीईओ का मुख्य कार्य कंपनी के विज़न ,परफॉरमेंस और मिशन पर ध्यान रखना होता है।
- CEO को कंपनी की सालाना बजट और लागत की भी सिफारिश करनी होती है।
- कंपनी की advertisement पर भी सीईओ को ध्यान देना होता है।
- कंपनी के डेवलपमेंट के लिए short-term and long-term strategy तैयार करती है।
- बिजनेस की सभी जरूरी कामों जो बाकि department करते हैं उन पर ध्यान देना होता है।
CEO बनने के लिए योग्यता
- सबसे पहले आपको 12 वी कक्षा में पास होना आवश्यक है।
- उसके बाद आप किसी कॉलेज से बैचलर की डिग्री या ग्रेजुएशन करनी है।
- फिर आपको एक अच्छे कॉलेज से एमबीए की डिग्री हासिल करनी होगी
- उसके बाद आपको कंपनी में कुछ सालो तक एक्सपेरिंस आपको लेना होगा। आपको बता दे की सीईओ की पोस्ट पर आप डायरेक्ट नहीं जा सकते हैं। अगर कंपनी में आपका परफॉरमेंस अच्छा रहता है तो आपको ceo के लिए प्रोमोट किया जा सकता है।
CEO की सैलरी
एक कंपनी में सीईओ की सबसे ज्यादा सैलरी होती है। मालिक के बाद कंपनी की पावर सीईओ के पास ही होती है। अगर कंपनी बड़ी है तो सीईओ की सैलरी करोड़ों में होती है। वही अगर कंपनी छोटी है तो उस कंपनी की सीईओ की कमाई लाखों में होती है। इसलिए यह ध्यान दें कि हर कंपनी में CEO की कमाई अलग अलग होती है।
2. Chief financial officer (CFO)
यह भी कंपनी के हायर पोस्ट में से ही आता है। CFO को कंपनी का फाइनेंशियल डायरेक्टर भी कह सकते हैं। यह कंपनी के इन्वेस्टमेंट, जोखिम, कंपनी वैल्यू के ऊपर फैसला लेता है। यह कंपनी के फंड पर भी बड़े फैसले लेते हैं। फाइनेंस से रिलेटेड सभी कार्य CFO देखता है। कंपनी का प्रॉफिट लॉस और इन्वेस्टमेंट सभी की रिपोर्ट CFO सीईओ को देता है।
CFO के काम क्या होते हैं?
- अकाउंट्स और फाइनैंस से जुड़े सभी चीजों को कंट्रोल और मैनेज सीएफओ द्वारा किया जाता है।
- फाइनेंशियल परफॉर्मेंस सर को बढ़ाने के लिए कंपनी की मदद करते हैं।
- कंपनी के रेवेन्यू को बढ़ाने में हमेशा उनका फोकस रहता है।
- मंथली और एनुअल फाइनेंशियल प्लान तैयार करती है।
- कंपनी से जुड़े सभी क्लाइंट्स पेमेंट्स को समय पर पूरा करवाती है
- कंपनी से जुड़े टैक्स की रिपोर्ट तैयार करती है।
- साल भर के फाइनेंशियल टारगेट को पूरा करती है।
- कंपनी की फाइनेंशियल स्ट्रैटेजीज को एग्जिक्यूट करवाती है।
CFO बनने के लिए जरुरी योग्यता
- सबसे पहले आपको बारहवीं कक्षा पास करनी होगी। उसके बाद आपको बैचलर की डिग्री हासिल करनी होगी। बैचलर की डिग्री आप BBA, B.COM, BBM इन सभी कोर्स से ले सकते हैं। डिग्री लेने के बाद आप किसी कंपनी में जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं उसके बाद आपको अपने अनुभव के अनुसार प्रमोशन दिया जाता है।
CFO बनने के लिए जरूरी डिग्री
- Chartered Financial Analyst
- Certified Management Accountant
- Chartered Certified Accountant
- Certified Public Accountant
- Master of Science in Business
- Certified qualified accountant
- Chartered Accountant
- Master of Science in Accounting
Chief Financial Officer की सैलरी
आपको बता दें कि CFO बनने के लिए काफी मेहनत करनी होती है। इस काम में काफी अच्छी सैलरी मिलती है। CFO में तकरीबन 50 लाख से लेकर ₹80 लाख तक की पैकेज प्रदान की जाती है। शुरुआती समय में 10 से 20 लाख का पैकेज दिया जाता है।
3. Chief Marketing Officer (CMO) :-
यह कंपनी में हो रहे सभी मार्केटिंग वाले कामों पर ध्यान रखता है। जैसे सेल्स मैनेजमेंट, प्रोडक्ट मैनेजमेंट, एडवरटाइजिंग, मार्केट रिसर्च और ग्राहक सेवा आदि सब शामिल है। साथ ही CMO का काम कंपनी के कम्युनिकेशन एंड मार्केटिंग डिपार्टमेंट्स से दूसरे डिपार्टमेंट से बात करवाने का होता है।
CMO का क्या काम होता है?
- एक चीफ़ मार्केटिंग ऑफिसर (सीएमओ) की जिम्मेदारी स्ट्रैटेजीज को एग्जिक्यूट करके कंपनी के गोल को पूरा करना होता है।
- कंपनी के डेवलपमेंट के लिए काम करते हैं।
- कंपनी के सेल्स पर भी ध्यान देना होता है।
- कंपनी के विज्ञापन और मार्केटिंग को देखना होता हैं।
CMO बनने के लिए क्या योग्यता
- मार्केटिंग, डिजिटल तकनीक, Technology या अलग डिपार्टमेंट में बैचलर की डिग्री होनी चाहिए।
- कुछ सालों का experience सीनियर मार्केटिंग की पोस्ट पर किसी कंपनी में होना चाहिए।
CMO की सैलरी
समय के अनुसार धीरे धीरे इनकी सैलरी बढ़ती रहती है। साथ ही एक्सपीरियंस के साथ प्रोमोशन भी होता है। सीएमओ की एनुअल एवरेज सैलरी 30 से 50 लाख होती है यानी कि ₹3,00,000 प्रति महीना मिलता है।
4. Chief Technology Officer (CTO) :-
यह कंपनी के टेक्नोलोजी पर फैसले लेता है। साथ ही उससे जुड़ी पॉलिसी पर भी ध्यान देती है। CTO का कार्य कंपनी का सभी डाटा और आईटी सिस्टम का ध्यान रखना होता है।
Chief Technology Officer के कार्य
- हेड टेक्नोलॉजी ऑफिसर्स अपनी नॉलेज से आई टी प्रोजेक्ट को मार्केट में पहुंचाने का काम करती है।
- कंपनी के रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए काफी ज़रूरी रोल निभाती है।
- कंपनी के जरूरी डेटा को सुरक्षित रखती है।
- कपनी के सारी जरूरी डेटा केवल CTO के ही अंदर आते हैं।
- अपने एक्सपीरियंस के ऊपर CTO टेक्नोलॉजी की मदद से कंपनी और ग्राहक के बीच काफी अच्छा रिलेशन बनाता है।
- नई तकनीक से कंपनी की अलग अलग प्रकार की समस्याओं को सुलझाता है।
- कंपनी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आदि की सुरक्षा। और उसे कैसे इस्तेमाल करना है वह सब बताता है।
CTO बनने के लिए जरूरी योग्यता
- 12वी क्लास पास करने के बाद आपको कंप्यूटर साइंस के डिपार्टमेंट में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल करनी होती है। उसके बाद कंपनी में कुछ सालो तक experience लेना होता है उसके बाद आपके अनुभव और प्रमोशन की मदद से ही आप CTO बन सकते हैं।
Chief Technology Officer की Salary
किसी भी कंपनी के CTO की सैलरी काफी बातों पर निर्भर करती है। जैसे कि वह किस देश में काम कर रहा है, किस तरह की कंपनी में काम करता है। ऐसा इसलिए की हर कंपनी में CTO की सैलरी अलग अलग होती है।। सबसे ज्यादा अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनियां पूरी दुनिया के मुकाबले अधिक सैलरी प्रदान करती है।
बात की जाए भारत की तो बड़ी बड़ी कंपनियां हाइअर पोस्ट ऑफिसर्स को अच्छी सैलरी देती है। भारत में CTO को शुरुआत में हर साल ₹20 से लेकर ₹30 लाख के बीच में दिए जाते हैं। इसके अलावा ऑफिसर्स के एक्सपीरियंस और कंपनी उसके ऊपर भी सैलरी निर्भर करती है।
5. Chief Operating Officer (COO) :-
यह एग्जीक्यूटिव हैंड ऑफ सीईओ के तौर पर काम करते हैं। कंपनी में चल रहे बिज़नेस प्लान पर काम की जिम्मेदारी इनकी होती है।
Chief Operating Officer के काम क्या होता है?
- कंपनी में चल रहे प्रोजेक्ट को ऐनालाइज करता है। साथ ही उस काम में कितनी चीजे हो चुकी है इन सब को देखता है।
- सीईओ के साथ मिलकर बनायी गयी छोटी बड़ी स्ट्रैटेजीज और योजनाओं पर ध्यान देता है।
- कंपनी द्वारा किए गए इन्वेस्टमेंट और खर्चों के हिसाब से ग्रोथ और प्रॉफिट अचीव करने की कोशिश करती है।
- कस्टमर क्लाइंट और पार्टनर्स के साथ एक अच्छा रिलेशनशिप बनाने में मदद करती है।
चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफिसर बनने के लिए
- पांच या उससे ज्यादा साल का एक्सपीरियंस होना जरूरी है।
- बैचलर की डिग्री साथ ही मास्टर्स की डिग्री भी होनी चाहिए।
- इंग्लिश भाषा का ज्ञान होना चाहिए।
दोस्तों ऊपर बताई गयी सभी पोस्ट किसी भी कंपनी की सबसे टॉप level की पोस्ट होती है इसके बाद हम आपको बताने वाले है अगली जो पोस्ट होता है।
- मैन्युफैक्चरिंग हेड – इसका कार्य कंपनी के प्रोडक्ट और सर्विस के प्रोडक्शन को देखना होता है।
- Quality हेड – प्रोडक्ट और सर्विस रिलेटेड क्वालिटी की जिम्मेदारी क्वालिटी हेड की होती है।
- मैंटनेंस हेड – मेंटनेंस कार्य के लिए जिम्मेदार होता है।
- Plant head – अगर कंपनी बड़ी है तो उसमे plant head की पोस्ट होती है। एक पूरे प्लांट की जिम्मेदारी इनकी होती है।
DGM क्या है?
आपको बता दे कि DGM की full form डिप्टी जनरल मैनेजर होती है। यह कंपनी का एक important designation होता है। यह कंपनी को ग्रोथ करवाने में मदद करता है।
डीजीएम की जिम्मेदारी
- डीजीएम को हर काम अच्छे से करना होता है क्योंकि उनकी पोस्ट का काम काफी जिम्मेदारी भरा होता है।
- इनका काम कंपनी की डेवलपमेंट करना, स्ट्रैटजी बनाना जिससे कंपनी आगे बढ़ सके।
- साथ ही नए कर्मचारियों को काम पर रखना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होती है।
- यह प्लांट हेड की देखरेख में ही काम करते है। प्लांट हेडअपने कुछ नौकरी की जिम्मेदारियां एक डीजीएम को सौंप सकता है।
- प्लांट हेड के नीचे आने वाले जीतने भी डिपार्टमेंट होते है उस पर डीजीएम का अधिकार होता है।
- कंपनी में चल रहे सभी काम समय के अनुसार पूरे किए जा रहे हैं या नहीं इसकी जिम्मेदारी डीएम पर होती है।
योग्यता डीजीएम बनने के लिए
- किसी भी कॉलेज से बैचलर्स की डिग्री होनी चाहिए।
- किसी भी कॉलेज से फुलटाइम इंजीनियरिंग से ग्रैजुएशन होनी चाहिए वो भी इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन कोर्स में।
- पोस्ट ग्रैजुएशन में एमबीए की डिग्री होनी आवश्यक है।
- 2 से 4 साल का एक्सपीरियंस काम में किसी कंपनी का होना चाहिए।
डीजीएम की सेलरी
देखा जाए डीजीएम की सैलरी को तो आपको बता दें सभी कंपनी में डीजीएम की सैलरी अलग अलग होती है। डीजीएम की सैलरी भारत में 10 लाख से लेकर 50 लाख तक सालाना पैकेज होती है।
AGM क्या है?
एजीएम की फुल फार्म Assistant general manager है। यह DGM के अंडर कार्य करता है।
AGM का क्या काम होता है?
आपको बता दे कि असिस्टेंट जेनरल मैनेजर का काम कंपनी में होने वाले लेन देन को देखना होता है। और जो भी प्रोजेक्ट DGM से मिलता है उस प्रोजेक्ट को कंप्लीट करवाना के काम।
योग्यता एजीएम बनने के लिए
- सबसे पहले 12वी कक्षा पास करना जरूरी है।
- उसके बाद आपको B.A. की बैचलर की डिग्री लेकर ग्रेजुएशन कंप्लीट करनी होगी।
- फिर आपको MBA की डिग्री लेनी होगी।
- कंप्यूटर की नॉलेज होनी चाहिए। कंप्यूटर में आपको ईमेल सेंड करना, ईमेल लिखना, एमएस वर्ड, एमएस ऑफिस,एक्सल आदि चलाना आना चाहिए।
- एक से दो साल का experience होना जरुरी होता है। किसी भी कंपनी में इंटरशिप करके एक्सपीरियंस ले सकते हैं।
एजीएम की सैलरी
आपको बता दे कि हर जगह सैलरी एक्सपीरियंस के हिसाब से ज्यादा और कम होती है। भारत में असिस्टेंट जेनरल मैनेजर की शुरूआती सेलरी 10 लाख से शुरू होती है।
सीनियर मैनेजर
सीनियर मैनेजर के पास ज़्यादा जिम्मेदारियां और पॉवर्स होती है बाकी टीम मेंबर्स के हिसाब से। ये बाकि मैनेजर्स की कुछ जिम्मेदारियां ले सकते हैं। लेकिन इनका काम ज्यादातर स्ट्रैटजी बनाने का होता है। और हायर पोस्ट वाले को इन सब चीजों की रिपोर्ट देने का काम होता है। सीनियर मैनेजर DGM और AGM या प्लाट हेड को रिपोर्ट करता है।
क्या काम होते है सीनियर मेनेजर के?
- सीनियर मैनेजर के पास काफी अलग अलग रिस्पॉन्सिबिलिटीज होती है।
- यह बाकी टीम मेंबर्स को सुपरवाइजर्स को सुपरवाइज और गाइड करते हैं। कि उन्हें कैसे अपना काम करना है।
- इम्प्लॉइज की नौकरी में रखने से नौकरी से निकालने तक की जिम्मेदारी इनकी होती है।
- डिपार्टमेंट के बजट को मैनेज करते हैं।
- इम्प्लॉइज की परफॉर्मेंस पर ध्यान रखते है कि वह अपना काम सही समय पर रहे हैं या नहीं।
- यह अपने से ऊंचे पोस्ट वालों कोई यह सब रिपोर्ट भेजते हैं।
सैलरी ऑफ सीनियर मैनेजर
भारत में सीनियर मैनेजर की एवरेज एनुअल सैलरी 7 लाख से 20 लाख तक के बीच में होती है।
- डिप्टी मैनेजर – सीनियर मैनेजर के बाद डिप्टी मैनेजर मैनेजर की पोस्ट होती है। डिप्टी मैनेजर सीनियर मैनेजर को रिपोर्ट करता है। डिप्टी मैनेजर को आप शॉप इंचार्ज भी कह सकते हैं। इनका काम प्रोडक्शन क्वालिटी और मेंटेनेंस को देखना होता है।
- असिस्टेंट मैनेजर – डिप्टी मैनेजर की पोस्ट के बाद असिस्टेंट मैनेजर की पोस्ट आती है असिस्टेंट मैनेजर का काम डिप्टी मैनेजर के लगभग होता है लेकिन यहां भी सीनियर मैनेजर को रिपोर्ट करता है।
- सीनियर ऑफिसर – असिस्टेंट मैनेजर के बाद सीनियर ऑफिसर भी पोस्ट होती है- सीनियर ऑफिसर का कार्य लाइन को देखना होता है। लाइन में प्रोडक्शन और क्वालिटी रिलेटेड सभी कार्य सीनियर ऑफिसर को देखना होता है।
- सीनियर ऑफिसर के बाद ट्रेनिं और ऑपरेटर होते हैंजो की लाइन में कार्य करते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों हमने इस आर्टिकल में आपको company में कोन – कोन सी post होती है और इनका कार्य बताया है। हम आशा करते हैं कि आपको इस लेख द्वारा ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल हो। ताकि आप भी इस पोस्ट द्वारा कंपनी के पोस्ट के बारे में जान पाए। यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों से शेयर करें ताकि वह भी यह सब जान पाए। अगर आपको इस आर्टिकल में कुछ भी सुझाव देना है। तो वह आप कमेंट द्वारा कर सकते हैं हम आपके कमेंट पर जल्द से जल्द रिप्लाइ देने की कोशिश करेंगे।
F.A.Q. (अक्सर पूछे जाने वाले सवालो के जबाब ):-
एग्जीक्यूटिव लेवल क्या है?
एग्ज़ीक्यूटिव लेवल को हम C-suite भी कहते हैं। ये किसी भी कंपनी का एक highest position लेवल होता है जो कि बाकी कंपनी को चलाता है। एग्जीक्यूटिव के अंदर पांच जॉब टाइटल्स और उनके काम को बांटा गया है।
सीनियर मैनेजर कौन है?
सीनियर मैनेजर के पास ज़्यादा जिम्मेदारियां और पॉवर्स होती है बाकी टीम मेंबर्स के हिसाब से। ये बाकि मैनेजर्स की कुछ जिम्मेदारियां ले सकते हैं। लेकिन इनका काम ज्यादातर स्ट्रैटजी बनाने का होता है।
CEO की सैलरी कितनी होती है?
कंपनी बड़ी है तो सीईओ की सैलरी करोड़ों में होती है। वही अगर कंपनी छोटी है तो उस कंपनी की सीईओ की कमाई लाखों में होती है।
कितने C-suite कितने होते है?
C-suite पांच भागों में है। यह कंपनी का एक highest position लेवल होता है जो कि बाकी कंपनी को चलाता है।
Chief executive officer
Chief financial officer
Chief marketing officer
Chief Technology Officer
Chief operational officer
हे दोस्तों, मेरा नाम गोविन्द है में इस ब्लॉग GtechHindi का फाउंडर और सीनियर एडिटर हूँ। मैं By Profession ऑटोमोबाइल इंजीनियर हूँ और By Passion डिजिटल मार्केटिंग और ब्लॉग्गिंग करता हूँ जो की मेरा शौक है।
मेरे शौक के बारे में – मुझे सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग, इंटरनेट, कंप्यूटर और इंजीनियरिंग कला में रुचि है। मैं हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूं, क्योंकि अगर आपके पास ज्ञान है कुछ नया कर सकते हैं।
“मंजिल तो मिल ही जाएगी, भटक के ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं”
” be the best version of yourself”